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Blog: A report of Kavya Sandhya

A report of Kavya Sandhya

A report of Kavya Sandhya

29 अप्रैल 2023 की काव्य सन्ध्या की रिपोर्ट

29 अप्रैल 2023 को इन्द्रप्रस्थ विस्तार स्थित IPEX भवन में WOW India की ओर से एक काव्य सन्ध्या का सफल आयोजन किया – जिसमें साहित्य मुग्धा दर्पण नाम की साहित्यिक संस्था भी भागीदार बनी | कार्यक्रम की अध्यक्षता की पुणे से पधारे और DRDO के वैज्ञानिक डॉ हिमाँशु शेखर ने | कार्यक्रम का आरम्भ रूबी शोम ने सरस्वती वन्दना से किया | उसके बाद साहित्य मुग्धा दर्पण की अध्यक्षा श्रीमती रेखा अस्थाना ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए जल संरक्षण के प्रति जागरूकता पैदा करने वाली स्वरचित कविता का पाठ भी किया | तत्पश्चात WOW India की Secretary General डॉ पूर्णिमा शर्मा ने कार्यक्रम के विषय में बात करते हुए गंगा सप्तमी और सीता नवमी की प्रासंगिकता और उनमें निहित सन्देशों के विषय में बात की | साथ ही अपनी कविता “आओ शब्दों को चहका दें, अर्थों को सार्थकता दे दें” का पाठ भी किया | और फिर कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ हिमाँशु शेखर की आज्ञा से काव्य सन्ध्या का विधिवत आरम्भ हुआ | हिमाँशु जी ने व्यंग्य रचना “नरकगामी” के साथ ही कुछ आशु कविताओं और कुछ अन्य कविताओं का पाठ किया |

श्री ­R K Rastogi जी की कविता में संविधान संशोधन और रोज़गार के अवसरों के सन्दर्भ थे तो पूनम गुप्ता ने “माँ” को समर्पित कविता का पाठ किया | नीरज सक्सेना ने भी पहले “माँ” के सम्मान में कुछ पंक्तियाँ पढ़कर “मैं रोती आँखों का अश्रु हूँ” शीर्षक से बड़ी जोश और भावपूर्ण कविता का पाठ किया | पूजा भारद्वाज ने भी अपनी कविता के माध्यम से “माँ” का ही स्मरण किया | पुनीता सिंह की रचना भी प्रभावशाली रही | नूतन शर्मा की कविता “कैसे वो बिताया” में एक सैनिक की पत्नी की कथा व्यथा ध्वनित हुई तो उन्होंने एक माहिया भी गाकर सुनाया | कार्यक्रम का आकर्षण रही मुकेश आनन्द जी की रचना “लक्ष्मण को प्राणदण्ड” | इस कविता को रामायण की एक कथा को आधार बनाकर लिखा गया था | एक प्रसंग आता है कि एक बार यम श्री राम के साथ कुछ मन्त्रणा करने आए | किन्तु उन्होंने श्री राम से एक वचन माँगा कि जितनी देर मन्त्रणा चलेगी उतनी देर कोई व्यवधान नहीं उपस्थित करेगा – और यदि ऐसा होता है तो आप मर्यादा की रक्षा करते हुए उसे प्राणदण्ड देंगे | भगवान राम इस पर सहमत हो गए और उन्होंने अपने सबसे प्रिय अनुज लक्ष्मण को द्वार की रक्षा हेतु नियुक्त कर दिया | इसी बीच परम क्रोधी ऋषि दुर्वासा भी वहाँ आ गए | लक्ष्मण ने उन्हें बहुत रोकना चाहा किन्तु वे नहीं माने तो लक्ष्मण को बरबस भीतर जाकर भाई को उनके आगमन की सूचना देनी पड़ी | राम ने दुर्वासा ऋषि का स्वागत सत्कार तो किया – किन्तु यम को दिए वचन के अनुसार उन्हें लक्ष्मण को मृत्युदण्ड देना था क्योंकि उन्होंने मन्त्रणा में व्यवधान उपस्थित किया था | बड़ी कठिन स्थिति थी | तब उनके गुरुदेव महर्षि वशिष्ठ ने उन्हें सुझाव दिया कि अपने किसी प्रिय का त्याग भी उसकी मृत्यु के समान ही होता है, अतः तुम अपने वचन का पालन करने के लिए लक्ष्मण का त्याग कर दो | लक्ष्मण ने कहा कि श्री राम से दूर जाना उनके लिए मृत्यु से भी अधिक कष्टकारी होगा – इसलिए वे उनकी मर्यादा और वचन का पालन करते हुए अपने शरीर का त्याग कर देंगे – और उन्होंने जल समाधि ले ली | मुकेश जी ने इस घटना का वर्णन के साथ ही और भी कुछ प्रसंगों को उठाते हुए एक परिकल्पना प्रस्तुत की कि यदि राम और लक्ष्मण आज जीवित होते तो लक्ष्मण और उनके मध्य किस प्रकार का वार्तालाप होता | रचना वास्तव में अत्यन्त प्रभावशाली थी |

कार्यक्रम का समापन सभी रचनाकारों के सम्मान के बाद WOW India की Senior Vice President श्रीमती बानू बंसल जी के धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ | कार्यक्रम में WOW India की कार्यकारिणी सदस्य श्रीमती अर्चना गर्ग सहित अनेक सदस्य उपस्थित रहे | कार्यक्रम का सफल संचालन WOW India की Cultural Secretary लीना जैन ने किया |

कार्यक्रम से पूर्व स्वस्थ जीवन के प्रति जागरूकता के लिए उपस्थित सदस्यों के HB और Thyroid की जाँच भी की गई |

बहुत शीघ्र ही कार्यक्रम की वीडियो रिकॉर्डिंग प्रस्तुत की जाएगी, तब तक प्रस्तुत हैं कार्यक्रम के कुछ चित्र…

डॉ पूर्णिमा शर्मा…