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bookmark_borderअनीमिया मुक्त भारत

अनीमिया मुक्त भारत

दिनांक 3 जून 2023 को WOW India के सौजन्य से YWA के प्रांगण में ‘अनिमिया मुक्त भारत’ योजना के तहत अनिमिया परीक्षण शिविर का आयोजन किया गया। इस अवसर पर रक्त परीक्षण के साथ-साथ आगामी पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में पौधारोपण कार्यक्रम भी आयोजित किया गया। आयोजन की सार्थकता को और बढ़ाया श्रीमति प्रिया गुप्ता ने जिन्होंने फेंके जाने वाले अवशेष खाद्य पदार्थों से खाद बनाना सिखाया।

भारत विकास परिषद, प्रांत महिला प्रमुख तथा WOW India की ‘अनिमिया मुक्त भारत’ योजना की संयोजिका श्रीमति अर्चना गर्ग ने सुगमता से हमारे आस-पास उपलब्ध सामग्री से एंजाइम बनाना सिखाया तथा उसके उपयोग पर भी चर्चा की।

कार्यक्रम की अध्यक्षता की श्रीमति इंदु गुप्ता ने तथा सहयोगी रहीं इनर व्हील संस्था की सचिव श्रीमति मधुबाला, श्रीमति शशि कुमार, श्रीमति अनीता, भारत विकास परिषद सूर्य नगर शाखा की कार्यक्रम संयोजिका श्रीमति अनुभा पांडे व अन्य कर्मठ महिला कार्यकर्ता।

WOW India की ओर से श्रीमति स्वाती ने YWA छात्रावास की कुछ 67 युवतियों तथा स्टाफ का रक्त परीक्षण किया। मानक से कम हिमोग्लोबिन होने पर संबंधित महिलाओं को दवा या आवश्यक दिशा निर्देश दिए गए। यह एक सूचनापरक, जागरूकता कार्यक्रम रहा जिसे सभी के द्वारा सराहा गया।

अनीमिया मुक्त भारत
अनीमिया मुक्त भारत

bookmark_borderA report of Kavya Sandhya

A report of Kavya Sandhya

29 अप्रैल 2023 की काव्य सन्ध्या की रिपोर्ट

29 अप्रैल 2023 को इन्द्रप्रस्थ विस्तार स्थित IPEX भवन में WOW India की ओर से एक काव्य सन्ध्या का सफल आयोजन किया – जिसमें साहित्य मुग्धा दर्पण नाम की साहित्यिक संस्था भी भागीदार बनी | कार्यक्रम की अध्यक्षता की पुणे से पधारे और DRDO के वैज्ञानिक डॉ हिमाँशु शेखर ने | कार्यक्रम का आरम्भ रूबी शोम ने सरस्वती वन्दना से किया | उसके बाद साहित्य मुग्धा दर्पण की अध्यक्षा श्रीमती रेखा अस्थाना ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए जल संरक्षण के प्रति जागरूकता पैदा करने वाली स्वरचित कविता का पाठ भी किया | तत्पश्चात WOW India की Secretary General डॉ पूर्णिमा शर्मा ने कार्यक्रम के विषय में बात करते हुए गंगा सप्तमी और सीता नवमी की प्रासंगिकता और उनमें निहित सन्देशों के विषय में बात की | साथ ही अपनी कविता “आओ शब्दों को चहका दें, अर्थों को सार्थकता दे दें” का पाठ भी किया | और फिर कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ हिमाँशु शेखर की आज्ञा से काव्य सन्ध्या का विधिवत आरम्भ हुआ | हिमाँशु जी ने व्यंग्य रचना “नरकगामी” के साथ ही कुछ आशु कविताओं और कुछ अन्य कविताओं का पाठ किया |

श्री ­R K Rastogi जी की कविता में संविधान संशोधन और रोज़गार के अवसरों के सन्दर्भ थे तो पूनम गुप्ता ने “माँ” को समर्पित कविता का पाठ किया | नीरज सक्सेना ने भी पहले “माँ” के सम्मान में कुछ पंक्तियाँ पढ़कर “मैं रोती आँखों का अश्रु हूँ” शीर्षक से बड़ी जोश और भावपूर्ण कविता का पाठ किया | पूजा भारद्वाज ने भी अपनी कविता के माध्यम से “माँ” का ही स्मरण किया | पुनीता सिंह की रचना भी प्रभावशाली रही | नूतन शर्मा की कविता “कैसे वो बिताया” में एक सैनिक की पत्नी की कथा व्यथा ध्वनित हुई तो उन्होंने एक माहिया भी गाकर सुनाया | कार्यक्रम का आकर्षण रही मुकेश आनन्द जी की रचना “लक्ष्मण को प्राणदण्ड” | इस कविता को रामायण की एक कथा को आधार बनाकर लिखा गया था | एक प्रसंग आता है कि एक बार यम श्री राम के साथ कुछ मन्त्रणा करने आए | किन्तु उन्होंने श्री राम से एक वचन माँगा कि जितनी देर मन्त्रणा चलेगी उतनी देर कोई व्यवधान नहीं उपस्थित करेगा – और यदि ऐसा होता है तो आप मर्यादा की रक्षा करते हुए उसे प्राणदण्ड देंगे | भगवान राम इस पर सहमत हो गए और उन्होंने अपने सबसे प्रिय अनुज लक्ष्मण को द्वार की रक्षा हेतु नियुक्त कर दिया | इसी बीच परम क्रोधी ऋषि दुर्वासा भी वहाँ आ गए | लक्ष्मण ने उन्हें बहुत रोकना चाहा किन्तु वे नहीं माने तो लक्ष्मण को बरबस भीतर जाकर भाई को उनके आगमन की सूचना देनी पड़ी | राम ने दुर्वासा ऋषि का स्वागत सत्कार तो किया – किन्तु यम को दिए वचन के अनुसार उन्हें लक्ष्मण को मृत्युदण्ड देना था क्योंकि उन्होंने मन्त्रणा में व्यवधान उपस्थित किया था | बड़ी कठिन स्थिति थी | तब उनके गुरुदेव महर्षि वशिष्ठ ने उन्हें सुझाव दिया कि अपने किसी प्रिय का त्याग भी उसकी मृत्यु के समान ही होता है, अतः तुम अपने वचन का पालन करने के लिए लक्ष्मण का त्याग कर दो | लक्ष्मण ने कहा कि श्री राम से दूर जाना उनके लिए मृत्यु से भी अधिक कष्टकारी होगा – इसलिए वे उनकी मर्यादा और वचन का पालन करते हुए अपने शरीर का त्याग कर देंगे – और उन्होंने जल समाधि ले ली | मुकेश जी ने इस घटना का वर्णन के साथ ही और भी कुछ प्रसंगों को उठाते हुए एक परिकल्पना प्रस्तुत की कि यदि राम और लक्ष्मण आज जीवित होते तो लक्ष्मण और उनके मध्य किस प्रकार का वार्तालाप होता | रचना वास्तव में अत्यन्त प्रभावशाली थी |

कार्यक्रम का समापन सभी रचनाकारों के सम्मान के बाद WOW India की Senior Vice President श्रीमती बानू बंसल जी के धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ | कार्यक्रम में WOW India की कार्यकारिणी सदस्य श्रीमती अर्चना गर्ग सहित अनेक सदस्य उपस्थित रहे | कार्यक्रम का सफल संचालन WOW India की Cultural Secretary लीना जैन ने किया |

कार्यक्रम से पूर्व स्वस्थ जीवन के प्रति जागरूकता के लिए उपस्थित सदस्यों के HB और Thyroid की जाँच भी की गई |

बहुत शीघ्र ही कार्यक्रम की वीडियो रिकॉर्डिंग प्रस्तुत की जाएगी, तब तक प्रस्तुत हैं कार्यक्रम के कुछ चित्र…

डॉ पूर्णिमा शर्मा…

 

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अनीमिया मुक्त भारत कैम्प सूर्य नगर

अनीमिया मुक्त भारत की दिशा में आगे बढ़ते हुए WOW India की सूर्य नगर शाखा द्वारा भारत विकास परिषद के सहयोग से 18 अप्रैल को वसुन्धरा ग़ाज़ियाबाद स्थित सेवा भारती विद्यालय में एक चैकअप कैम्प लगाया गया जिसमें 95 बच्चों और बड़ों के हीमोग्लोबिन की नि:शुल्क जाँच की गई | इस जाँच में अधिकाँश बच्चों का हीमोग्लोबिन उचित मात्रा में पाया गया | जिन लोगों का कम रहा उनके लिए WOW India की अनुभा पाण्डेय और अर्चना गर्ग जी ने कुछ खान पान सम्बन्धी सुझाव दिए और रक्ताल्पता दूर करने के लिए उपयुक्त विटामिन्स लेने की सलाह दी |

इस अवसर पर WOW India की Vice President श्रीमती बानू बंसल, सूर्य नगर ब्रांच की अध्यक्ष श्रीमती अर्चना गर्ग, श्रीमती रेखा अस्थाना, श्रीमती कविता भाटिया, श्रीमती अनुभा पाण्डेय, श्रीमती रूबी शोम  सहित WOW India की सूर्य नगर शाखा के भी अनेक सदस्य उपस्थित रहे और कैम्प लगाने में उन्होंने अपना सहयोग प्रदान किया |

हम हर सप्ताह इसी प्रकार के कैम्पस लगा रहे हैं… उनकी पूर्व सूचना आपको दे दी जाएगी ताकि आप भी इन कैम्पस का लाभ उठा सकें…

सादर: डॉ पूर्णिमा शर्मा, Secretary General WOW India

Anemia free India movement
Anemia free India movement

 

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महारानी अहिल्याबाई होल्कर अवार्ड्स

Dr. Purnima Sharma
Dr. Purnima Sharma

25 फरवरी को पटपड़गंज स्थित IPEX भवन में अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के स्वागत में WOW India द्वारा श्री लक्ष्मणदास चैरिटेबल ट्रस्ट के सौजन्य से एक रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन किया गया | कार्यक्रम का आरम्भ रेणु कुमार की प्रस्तुति “सरस्वती वन्दना” के साथ किया गया | इस अवसर पर बोलते हुए संस्था की Secretary General डॉ पूर्णिमा शर्मा ने महिला सशक्तीकरण के सन्दर्भ में बोलते हुए कहा कि आज की नारी अबला नहीं है, बल्कि हर क्षेत्र में आगे बढ़कर कार्य कर रही है | वही सृष्टि पर जीवन लाती है, वही उसका पालन पोषण करके उसे परिवार-समाज-देश के लिए उपयोगी मनुष्य बनाती है – और साथ ही अपनी महत्त्वाकांक्षाओं को भी पूर्ण करती हुई समाज की प्रगति में योगदान देती है | पुरुष भी अपनी इच्छाओं महत्त्वाकांक्षाओं की परवाह किये बिना अपने उत्तरदायित्वों का पालन करता है – इस तरह स्त्री पुरुष दोनों की समान भूमिकाएँ हैं | किन्तु समस्या तब होती है जब बहुत सी जगहों पर पुरुष अपने त्याग की गाथा गाकर स्त्री के त्याग को नकारने का प्रयास करता है – इसी बात को जड़ से मिटाने की आवश्यकता है | और इसके लिए स्त्री को स्वयं प्रयास करना होगा |

संस्था की President डॉ लक्ष्मी ने एक ओर जहाँ भारत कोकिला सरोजिनी नायडू के जीवन और कृतित्व पर चर्चा की – क्योंकि 13 फरवरी को श्रीमती नायडू का जन्म दिवस था – तो दूसरी ओर महारानी अहिल्याबाई होल्कर के विषय में बात की – कि अपने अपने क्षेत्रों में विशिष्ट योगदान देने के लिए WOW India द्वारा प्रति वर्ष दिए जाने वाले पुरुस्कारों को क्यों इस वर्ष से “महारानी अहिल्याबाई होल्कर” के सम्मान में दिया जा रहा है | महारानी अहिल्याबाई होल्कर के समाज और राष्ट्र के प्रति योगदान के विषय में बताया |

संस्था की Chairperson डॉ शारदा जैन ने अपने वक्तव्य में Anaemia Free Movement में योगदान के लिए WOW India की सभी Volunteers का आह्वान किया |

रंगारंग कार्यक्रम
रंगारंग कार्यक्रम

इस अवसर पर डॉ शारदा जैन को उनके मार्गदर्शन के लिए, डॉ पूर्णिमा शर्मा को संस्था के लिए किए गए उनके अथक प्रयासों के लिए तथा श्रीमती अर्चना गर्ग को समाज सेवा के क्षेत्र में उनके विशिष्ट योगदान के लिए विशेष रूप से सम्मानित किया गया | प्रसिद्ध ओड़िसी नृत्यांगना श्रीमती आम्रपाली गुप्ता मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम कि शोभा बधाई, तो दूसरी ओर श्रीमती अमृता पचौरी और डॉ चन्दरलता ने अपनी कविताओं से दर्शकों का मन मोह लिया |

इस सबके अतिरिक्त Health Awareness के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए डॉ आभा शर्मा और डॉ ममता ठाकुर को, Education & Literature के क्षेत्र में डॉ प्रिया गुप्ता और पूजा भारद्वाज को, Music & Arts के क्षेत्र में निधि भुट्टन, रेणु कुमार और प्रीति तण्डन को और Social Work के क्षेत्र में श्रीमती सुनन्दा श्रीवास्तव, श्रीमती ऋतु भाटिया और श्रीमती शारदा मित्तल को Maharani Ahilyabai Holkar Excellence Award से सम्मानित किया गया |   

इसी तरह Health Awareness के क्षेत्र में डॉ. आशा साहे, डॉ शमा बत्रा और डॉ रश्मि नागपाल अरोड़ा को, Education & Literature के क्षेत्र में श्रीमती कविता भाटिया और श्रीमती कृष्णा भाटिया को, Music & Arts के क्षेत्र में श्रीमती उषा रुस्तगी, श्रीमती रुक्मिणी नैयर और कुमारी नन्दिनी भार्गव को, तथा Social Work के क्षेत्र में श्रीमती नीना दुग्गल, श्रीमती सुनीता अरोड़ा, श्रीमती गीता अग्रवाल और श्रीमती वनिता जैन को Maharani Ahilyabai Holkar Appreciation Award से सम्मानित किया गया |

प्रस्तुत हैं कार्यक्रम कि कुछ झलकियाँ…

डॉ पूर्णिमा शर्मा, Secretary General, WOW India

 

bookmark_borderसर्वाइकल कैंसर के लक्षण कारण और बचाव

सर्वाइकल कैंसर के लक्षण कारण और बचाव

Dr. Shama Batra
Dr. Shama Batra

सर्वाइकल कैंसर मुक्त भारत अभियान” के अन्तर्गत इसके लक्षण, कारण और इससे बचाव के सन्दर्भों में पूछे गए बहुत से प्रश्नों के उत्तर दे रही हैं डॉ शमा बत्रा… बहुत ही उपयोगी वार्ता… अवश्य पढ़ें… MBBS, MD (OBG), FICOG डॉ शमा बत्रा पटेल हॉस्पिटल में Medical Superintendent हैं… Also, she is Former Secretary of Indian Medical Association (EDB), Former Fin. Secretary of Indian Medical Association (EDB), Co-chairperson Women Doctor’s Welfare Association, Secretary of WDW (IMA), Delhi, Executive Member of EDGF/EDB, Chairperson of IMA Mission Pink Health, Delhi Member of FOGSI, AOGD, FEMGENCON, ISAR, FETAL Medicine, HEALTHY INDIA TRUST and is a part of many social organizations… लेख के साथ दिए गए चित्र डॉ बत्रा और उनकी होनहार सुपुत्री दिशा बत्रा ने बनाए हैं… एक अच्छी जानकारी के लिए एक बार अवश्य पढ़ें इस लेख को… डॉ पूर्णिमा शर्मा…

  • सवाल : सर्विक्स कैंसर क्या है ?

सर्विक्स बच्चेदानी के मुंह का कैंसर है | यह महिलाओं में सबसे ज्यादा पाया जाता है | एचपीवी वायरस का संक्रमण कारण होता है | त्वचा से त्वचा के सम्पर्क, कई लोगों से संबंध से होता है | यह संक्रमण रोकने के उपाय न करने से होता है |

  • सवाल : इसके लक्षण क्या हैं ?

    Cervical Cancer
    Cervical Cancer

एचपीवी वायरस के संक्रमण के लक्षण तो नहीं दिखते हैं | इससे अनियमित रक्तस्राव, संबंध के दौरान रक्तस्राव, व्हाइट डिस्चार्ज जैसा होना, भूख कम लगती है |

  • सवाल : किन कारणों से होता है ?

ब्रेस्ट कैंसर के बाद महिलाओं में यह सबसे ज्यादा होता है | सही तरीके से जननांग की सफाई न करना, असुरक्षित यौन संबंध और धूम्रपान भी इसके प्रमुख कारण है |

  • सवाल : किन जांचों से पहचानते हैं ?

21-40 वर्ष तक पैपस्मीयर, एचपीवी डीएनए टेस्ट कराना चाहिए | रिपोर्ट में गड़बड़ी पर काल्पोस्कोपी (दूरबीन आधारित जांच), बायोप्सी करते हैं |

  • सवाल : एचपीवी इंफेक्शन क्या है ?

ह्यूमन पैपीलोमा वायरस (एचपीवी) द्वारा संक्रमण इस कैंसर का प्रमुख कारण है | इस वायरस के कई प्रकार होते है | इस संक्रमण से बचाव के लिए  टीके उपलब्ध हैं | टीका चार प्रकार के वायरस एचपीवी (06, 11, 16, 18) से बचाता है | इसकी तीन खुराक होती है | 10-45 की उम्र की महिलाएं ये टीका लगवा सकती हैं | शादी या संबंध स्थापित होने से पहले लगवाने से ज्यादा सुरक्षित रह सकते हैं |

  • सवाल : बचाव के लिए क्या करें ?

गर्भाशय के मुंह के कैंसर से बचाव के लिए 10-45 की उम्र तक एचपीवी वैक्सीन लगवाएं | इसकी तीन डोज होती है, यह छह माह में लगती है | 21 वर्ष के बाद हर महिला को स्क्रीनिंग करानी चाहिए | स्क्रीनिंग से कैंसर की शुरुआती अवस्था में पहचान से इलाज आसान होता है | 30 से 65 की उम्र के बीच पैप स्मीयर व एचपीवी, डीएनए टेस्ट

Cervical Cancer Free India
Cervical Cancer Free India

किया जाता है | यदि दोनों टेस्ट सामान्य है तो महिला की स्क्रीनिंग पांच वर्ष बाद करते हैं |

Cervical Cancer Mukta Bharat

Let’s join WHO”s global movement of 90%,70%,90%

to eliminate Cervical Cancer

So let’s join Together we can achieve🤝🤝

@DrShamaBatra

🙏😊🙏

bookmark_borderसर्वाइकल कैंसर मुक्त भारत

सर्वाइकल कैंसर मुक्त भारत

Dr. Chanderlata
Dr. Chanderlata

सर्विक्स यानी गर्भाशय का सबसे निचला भाग – जिसे गर्भाशय कि ग्रीवा भी कहा जाता है – उसमें होने वाला कैंसर “सर्वाईकल कैंसर” कहलाता ही | यह एक बहुत घातक कैंसर है | WOW India और DGF द्वारा चलाए जा रहे “सर्वाइकल कैंसर मुक्त भारत” अभियान

के अन्तर्गत WOW India के Doctors Group की सदस्य डॉ चन्दरलता – जो EDGF की भी सदस्य हैं और पिछले 38 वर्षों से मरीजों कि सेवा में रत एक जानी मानी Obst. & Gynaecologist हैं – का लेख प्रस्तुत है… एक बार पढ़ें अवश्य… डॉ पूर्णिमा शर्मा…

सर्वाइकल कैंसर मुक्त भारत” अभियान

गर्भाशय के मुंह का है ये कैंसर, महिलाओं में नम्बर 2 का है ये कैंसर

हमारी महिलाओं को इसके कारणों और जांच का नहीं है ज्ञान, हमें उन्हें देना है,सरल भाषा में इसका ज्ञान

किशोरावस्था जीवन का, सबसे नाज़ुक मोड़ है

जिज्ञासा और बेचैनी का कैसा अद्भुत जोड़ है   

संभल संभल कर चलना ये जीवन अनमोल है , इस लिए 9-45 की उम्र में सर्वाइकल कैंसर का टीकाकरण भी अनमोल है

ह्उमन पैपिलोमा वायरस, करता है —99% संक्रमण

इससे बचने का सरल उपाय —90%

 टीकाकरण

सरल जांच है पैप समियर, महिलाओं को समझाना है बारम्बार

करवा लें गर 70% महिलाएं ये जांच

Cervical Cancer
Cervical Cancer

सर्वाइकल कैंसर भागे उल्टे पांव

पैप समियर देता है डाक्टर को, शीघ्र कैंसर का संज्ञान

फिर सर्वाइकल कैंसर का होता पूर्ण निदान

समय पर टीकाकरण, पैप समियर और शीघ्र इलाज

इस जागरूकता से बना सकेंगे, सर्वाइकल कैंसर मुक्त समाज

चलो मिलकर फैलाएं सर्वाइकल कैंसर मुक्त अभियान चहूं ओर

गलती से ना छूटे जिंदगी की कोई डोर

आओ मिलकर संकल्प लें, जागरूकता अभियान चलायेंगे

भारत को शीघ्र ही सर्वाइकल कैंसर मुक्त बनायेंगे

डॉक्टर  चन्द्र लता

        🌹🌹🤝🤝🤝🤝🤝🌹🌹

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Recipe of Amle ka Halwa

Rekha Asthana
Rekha Asthana

आँवले का हलवा और कार्तिक पूर्णिमा – रेखा अस्थाना

आँवले के गुणों के विषय में तो हम सभी जानते हैं | और ठण्ड के मौसम में जब ताज़ा ताज़ा आँवला आता है तब तो कई तरह से उसे काम में लिया जाता है | इसी तरह से आज हम बनाते हैं आँवले का हलवा… स्वास्थ्यवर्द्धक भी और खाने में स्वाद भी…

  • सामग्री :
  • आधा किलो आँवला
  • चीनी आधा किलो (पर यह आपके स्वाद पर भी निर्भर करता है)
  • एक टुकड़ा दालचीनी
  • एक छोटी इलायची
  • एक लौंग लें पीस कर पाउडर बना कर रख लें
  • एक बड़ा चम्मच देसी घी |
  • विधि :
  • आँवले को थोड़ा पानी डालकर स्टीम दें | तीन स्टीम के बाद उतार कर, ठण्डा होने पर उसकी गुठली अलग कर उसे मिक्सी में पीस लें | कढ़ाई गर्म कर उसमें घी डालें और पीसे आँवले को खूब भूनें |
  • इधर चीनी की एक तार की चाशनी बनाकर तैयार रखें | जब आँवले का पानी सूख जाए तब उस चाशनी को आँवले के पेस्ट में डालकर चलाएँ | फिर चुटकी भर जो आपने मसाला बनाया था डालकर खूब चलाएँ | सूखने पर उतार लें |
  • बर्फी की विधि :

अब अगर आप इसी पेस्ट में भुना हुआ सिंघाड़े का आटा मिला देंगे तो यह थोड़ा कड़ा पड़ जाएगा | इन दोनों को अच्छे से मिलाएँ | उसे आप थाली में घी लगा कर जमाकर बर्फी का आकार दे सकती हैं | ऊपर से ड्राईफ्रूट्स से डेकोरेट भी कर सकती हैं |

  • फायदे :
  • इसमें प्रचुर मात्रा में आयरन, कैल्शियम, व विटामिन सी होता है | इसे आप रोटी, पराठे या फिर ब्रेड में लगाकर बच्चों को दे सकती हैं | यह रक्त की कमी की पूर्ति कर आँखों की रोशनी के लिए भी फायदेमंद है | नियमित उपयोग से बाल झड़ने बंद हो जाते हैं |

    Different uses of Amla
    Different uses of Amla
  • थोड़ा कसैला अवश्य रहता है पर गुणकारी सोने के समान है |
  • शुगर पेशेंट्स चीनी का उपयोग सोच समझ कर करें |
  • बुजुर्गों की कहावत :

बुजुर्गों का कहा और आँवले का खाया बाद में नजर आता है |

  • सामाजिक दायित्व :
  • कार्तिक मास भर संपन्न व्यक्ति को किसी न किसी रूप में आँवले का दान गरीबों को अवश्य करें क्योंकि वे खरीद कर नहीं खा पाते | छठपूजा में भी आँवला चढ़ता है और प्रसाद रूप में सभी को दिया भी जाता है |
  • एक आँवले का गुण एक तोले सोने के समान है |

किसी भी प्रकार की मेरी त्रुटि के लिए क्षमा👏हम फिर मिलेंगे आँवले के साथ किसी अन्य रूप में |

रेखा अस्थाना

bookmark_borderAmla ki Chutney

Amla ki Chutney

कार्तिक, अगहन और पूस

Rekha Asthana
Rekha Asthana

खाओ आँवले की चटनी और पीयो तरकारी का गर्म सूप

प्रकृति – वह भी भारत देश की – जहाँ नाना प्रकार की साग सब्जियाँ व फल होते हैं जो शरीर के लिए औषधि का कार्य करते हैं पर हमें सही जानकारी न होने के कारण हम इनका इस्तेमाल कम करते हैं | हमारे बुजुर्ग कहा करते थे कि अगर हम केवल मौसमी फलों और साग सब्ज़ियों का ही भोजन में प्रयोग करें तो रोगों से कोसों दूर रह सकते हैं | आजकल आँवलो पर बहार आई हुई है… जी हाँ, आँवलों का मौसम चल रहा है और आँवले स्वास्थ्य के लिए कितने अधिक उपयोगी होते हैं ये हम सभी जानते हैं | कई तरह से आँवलों का प्रयोग किया जाता है | और अगर उनकी चटनी बनाकर खाई जाती है तब तो सेहत के साथ साथ खाने का स्वाद भी दोगुना बढ़ जाता है… तो आइये आज मैं आपको आँवले की चटनी प्रतिदिन खाने के लिए बनाने की विधि बता रही हूँ…

  • सामग्री
  • आँवले चार – काटकर गुठली अलग करें व बारीक टुकड़ों में काट लें
  • हरी धनिया पचास ग्राम
  • लहसुन यदि खाते हों तो पाँच कली छीलकर
  • हरी मिर्च सात या आठ या फिर स्वादानुसार
  • दो चम्मच सफेद सूखे तिल (तवे में हल्के लाल कर हल्का सा पीस लें)

    Recipe of Amla ki Chutney
    Recipe of Amla ki Chutney
  • एक चम्मच ऑलिव ऑइल यदि हो तो
  • नमक स्वादानुसार
  • विधि— इस सारी सामग्री को अच्छी प्रकार धोकर मिक्सी में पीसकर एक छोटे जार में रखें फिर उसमें भुने दरबराए तिल व ऑलिव ऑइल को मिलाकर रखें | प्रतिदिन अपने प्रियजन को प्रेम से परोसें |
  • फायदे— आपको सर्दी-जुकाम से दूर रखे, इम्यून सिस्टम ठीक रखेगा, शरीर में आयरन व कैल्शियम की कमी को पूरा करेगा । बाल आँखों के लिए  हितकर |

रोज खाइए और खिलाइए | क्योंकि यह बिना बताए पुण्य का बैलेंस बढ़ाता जाता है | जब हम स्वस्थ रहेंगे तो देश पर बोझ नहीं बनेंगे न |

“बुजुर्गों की गाथा व आँवले का खाया” बाद में पता चलता है |

और हाँ, त्रुटि के लिए क्षमा करियेगा क्योंकि डाक्टर हमसे अधिक  जानते हैं।👏😊

रेखा अस्थाना

bookmark_borderThere is victory beyond fear

There is victory beyond fear

डर के आगे जीत है

Katyayani Dr. Purnima Sharma
Katyayani Dr. Purnima Sharma

आज हर कोई डर के साए में जी रहा है | कोरोना ने हर किसी के जीवन में उथल पुथल मचाई हुई है | आज किसी को फोन करते हुए, किसी का मैसेज चैक करते हुए हर कोई डरता है कि न जाने क्या समाचार मिलेगा | जिससे भी बात करें हर दिन यही कहता मिलेगा कि आज उसके अमुक रिश्तेदार का स्वर्गवास हो गया कोरोना के कारण, आज उसका अमुक मित्र अथवा परिचित कोरोना की भेंट चढ़ गया | पूरे के पूरे परिवार कोरोना की चपेट में आए हुए हैं | हर ओर त्राहि त्राहि मची हुई है | साथ ही, जब समाचार मिलते हैं कि ऑक्सीजन की कमी है या लूट हो रही है, दवाओं की जमाखोरी के विषय में समाचार प्राप्त होते हैं तो इस सबको जानकार भयग्रस्त होना स्वाभाविक ही है | लेकिन हम एक कहावत भूल जाते हैं “जो डर गया वो मर गया” और “डर के आगे जीत है”… जी हाँ, डरने से काम नहीं चला करता | किसी भी बात से यदि हम भयभीत हो जाते हैं तो इसका अर्थ है कि हमारी संकल्प शक्ति दृढ़ नहीं है… और इसीलिए हम उस बीमारी को या जिस भी किसी बात से डर रहे हैं उसे अनजाने ही निमन्त्रण दे बैठते हैं… और समय से पूर्व ही हार जाते हैं… हम यह नहीं कहते कि कोरोना से डरा न जाए… बिल्कुल डरना चाहिए… लेकिन इसलिए नहीं कि हमें हो गया तो क्या हो गया… बल्कि इसलिए कि अपनी और दूसरों की सुरक्षा के लिए हम कोरोना के लिए बताए गए दिशा निर्देशों का कड़ाई से पालन करें…

डर तो किसी भी बात का हो सकता है | किसी को अपनी असफलता का भय हो सकता है, कोई भविष्य के विषय में चिन्तित हो सकता है, कोई रिजेक्ट किये जाने के भय से चिन्तित हो सकता है, किसी को अपना कुछ प्रिय खो जाने का भय हो सकता है, किसी को दुर्घटना का भय हो सकता है तो किसी को मृत्यु का भय और भी न जाने कितने प्रकार के भयों से त्रस्त हो सकता है | इसका परिणाम क्या होता है… कि हम अपना वर्तमान का सुख भी नहीं भोग पाते | जो व्यक्ति डर डर कर जीवन यापन करता है वह कभी प्रसन्न रह ही नहीं सकता |

हम अपने भयों से – परिस्थितियों से – पलायन कर जाना चाहते हैं | उनका सामना करने का साहस हम नहीं जुटा पाते | लेकिन हर समय डर डर कर जीना या परिस्थितियों से पलायन करना तो समस्या का समाधान नहीं | इससे तो परिस्थितियाँ और भी बिगड़ सकती हैं | क्योंकि नकारात्मकता नकारात्मकता को ही आकर्षित करती है – Negativity attracts negativity” इसलिए सकारात्मक सोचेंगे तो हमारे चारों ओर सकारात्मकता का एक सुरक्षा चक्र निर्मित हो जाएगा और हम बहुत सीमा तक बहुत सी दुर्घटनाओं से बच सकते हैं | प्रयोगों के द्वारा ये बात सिद्ध भी हो चुकी है अनेकों बार |

तो डर को दूर भगाने के लिए सबसे पहले हमें उसका सामना करने की सामर्थ्य स्वयं में लानी होगी | इसके लिए सबसे पहले हमें यह स्वीकार करना होगा कि हाँ हम भयग्रस्त हैं | और फिर जिस बात से भी हम डरे हुए हैं वह बात हमें कितना बड़ा आघात पहुँचा सकती है इस विषय में सोचना होगा कि यदि हम डरकर बैठ रहे तो हमारी हार होगी और उसका कितना बड़ा मूल्य हमें चुकाना पड़ सकता है | कितना कष्ट हमें उस परिस्थिति से हो सकता है जिसके विषय में सोच कर भी हमें डर लगता है इस विषय में भी सोचना होगा | और तब अपने भीतर से ही हममें साहस आएगा कि या तो हम उस परिस्थिति को आने ही न दें, और यदि आ भी जाए तो साहस के साथ उसका सामना करके उसे हरा सकें |

आज जिस प्रकार से ऑक्सीजन के लिए, दवाओं के लिए मारामारी मची हुई है वह सब भय के ही कारण है और उसका लाभ जमाखोरों और कालाबाज़ारी करने वालों को मिल रहा है | जिन लोगों को अभी कोरोना के लक्षण नहीं भी हैं या कम लक्षण हैं वे भी घबराकर दवाओं और ऑक्सीजन के लिए भागे भागे फिर रहे हैं | अस्पतालों में बेड के लिए भागे फिर रहे हैं | इन लोगों के डर के ही परिणामस्वरूप जमाखोरों और कालाबाज़ारी करने वालों की चाँदी हो रही है | जबकि डॉक्टर्स बार बार कह रहे हैं कि यदि हल्के से लक्षण हैं तो अस्पताल की तरफ मत देखिये – घर में रहकर ही डॉक्टर की बताई दवा समय पर लीजिये, प्राणायाम कीजिए, मास्क और साफ़ सफाई का ध्यान रखिये और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कीजिए – ऐसा करके आप घर में रहकर ही रोगमुक्त हो जाएँगे, और जमाखोरों तथा कालाबाज़ारी करने वालों को भी अवसर नहीं मिलेगा कि वे ऑक्सीजन और दवाओं को इकट्ठा करके मनमाने दामों में बेचकर जनता को लूट सकें | बीमारी की आग पर अपनी रोटियाँ सेंकने वाले राजनेताओं की बन आती है |

जिन लोगों ने इस आपदा के कारण अपने प्रियजनों को खोया है उनका कष्ट समझ में आता है | या जिन लोगों ने कोरोना को झेला है उनकी चिन्ता भी समझ में आती है | लेकिन यदि थोड़ी समझदारी और शान्ति से काम लिया जाए तो और अधिक नुकसान होने से बचाया जा सकता है | अभी दो दिन पहले सभी ने एक समाचार अवश्य देखा पढ़ा होगा कि किसी बुज़ुर्ग व्यक्ति ने एक युवक के लिए अस्पताल का अपना वो बेड छोड़ दिया जो उन्हें उनके परिवार वालों ने बड़ी भाग दौड़ के बाद दिलाया था | उनका कहना था कि “मैं तो अपना जीवन जी चुका, अब इन्हें इनका जीवन जीने देना है…” और घर वापस जाने के दो दिन बाद स्वर्ग सिधार गए | ये तो एक समाचार है, बहुत से ऐसे उदाहरण मानवता के आजकल सुर्ख़ियों में हैं |

रामायण में प्रसंग आता है कि अंगिरा और भृगुवंश के ऋषियों के कोप के कारण हनुमान जी अपनी शक्ति भुला बैठे थे | भगवान श्री राम ने जब उन्हें लंका जाने के लिए कहा तो उन्होंने असमर्थता प्रकट की | तब जामवन्त ने उनके गुणों का बखान उनके समक्ष किया और इस प्रकार उन्हें उनकी शक्ति का आभास कराया और वे “राम काज” करने में समर्थ हो सके | इसलिए व्यक्ति को अपनी सामर्थ्य कभी नहीं भूलनी चाहिए और समय पर उसका सदुपयोग करना चाहिए | और आज ये महामारी हमारे लिए जामवन्त बनकर आई है जो हमें सीख दे रही है कि हमें अपनी सामर्थ्य को नहीं भूलना चाहिए | और इस महामारी के समय सबसे बड़ी शक्ति यही है कि हम सभी सुरक्षा नियमों का पालन करें और यदि हलके लक्षण कोरोना के हैं भी तो घर में रहकर ही डॉक्टर की बताई दवा समय पर लें, अकारण ही घर से बाहर न जाएँ, मास्क लगाएँ, उचित दूरी बनाकर रखें, साफ सफाई का ध्यान रखें, एक दूसरे की सहायता के लिए आगे आएँ, वैक्सीन लें, बीमारी के सम्बन्ध में नकारात्मक तथा डराने वाले समाचारों को देखने सुनने से बचें… और सबसे बड़ी शक्ति ये कि घबराएँ नहीं और संकल्प शक्ति दृढ़ बनाए रहें ताकि कोरोना से लड़ाई में जीत सकें… माना अभी समय कुछ अच्छा नहीं है – लेकिन ये समय भी शीघ्र ही निकल जाएगा – इस प्रकार की सकारात्मकता का भाव बनाए रखें… क्योंकि सकारात्मकता किसी भी विपत्ति को दूर करने में सहायक होती है…

सुख जाता है दुःख को देकर, दुःख जाता है सुख को देकर |

सुख देकर जाने वाले से डरना क्या इस जीवन में ||

__________________कात्यायनी

bookmark_borderCorona and Mahaveer Jayanti

Corona and Mahaveer Jayanti

कोरोना और महावीर जयन्ती

Katyayani Dr. Purnima Sharma
Katyayani Dr. Purnima Sharma

जय श्री वर्द्ध्मानाय स्वामिने विश्ववेदिने

नित्यानन्द स्वभावाय भक्तसारूप्यदायिने |

धर्मोSधर्मो ततो हेतु सूचितौ सुखदुःखयो:

पितु: कारण सत्त्वेन पुत्रवानानुमीयते ||

आज चैत्र शुक्ल त्रयोदशी है – भगवान् महावीर स्वामी की जयन्ती का पावन पर्व | तो सबसे पहले तो सभी को महावीर जयन्ती की हार्दिक शुभकामनाएँ… हमें याद है हमारे पितृ नगर नजीबाबाद में – जहाँ जैन लोग बहुत अधिक तादाद में हैं… महावीर जयन्ती के अवसर पर जैन मन्दिर में बहुत बड़ा आयोजन प्रातः से सायंकाल तक चलता था… जैन अध्येता होने के कारण हमें भी वहाँ बुलाया जाता था… और सच में बहुत आनन्द आता था… दिल्ली में भी कई बार महावीर जयन्ती के कार्यक्रमों में भाग लेने का सौभाग्य प्राप्त हुआ…

सभी जानते हैं कि महावीर स्वामी जैन धर्म के चौबीसवें और अन्तिम तीर्थंकर थे | अब तीर्थंकर किसे कहते हैं ? तीर्थं करोति स तीर्थंकर: – अर्थात जो अपनी साधना के माध्यम से स्वयं संसार सागर से पार लगाने वाले तीर्थों का निर्माण करें वह तीर्थंकर | तीर्थंकर का कर्तव्य होता है कि वे अन्यों को भी आत्मज्ञान के मार्ग पर अग्रसर करने का प्रयास करें | इसी क्रम में प्रथम तीर्थंकर हुए आचार्य ऋषभदेव और अन्तिम अर्थात चौबीसवें तीर्थंकर हुए भगवान् महावीर – जिनका समय ईसा से 599-527 वर्ष पूर्व माना जाता है | णवकार मन्त्र में सभी तीर्थंकरों को नमन किया गया है “ॐ णमो अरियन्ताणं” | समस्त जैन आगम अरिहन्तों द्वारा ही भाषित हुए हैं |

जैन दर्शन मानता है कि प्रत्येक वस्तु अनन्तधर्मात्मक है और संसार की समस्त वस्तुएँ सदसदात्मक हैं | जैन दर्शन हमारे विचार से पूर्ण रूप से सम सामयिक दृष्टि है… सम्यग्दर्शन, सम्यग्चरित्र तथा सम्यग्चिन्तन की भावना पर सबसे अधिक बल जैन दर्शन में ही दिया गया है… और आज जिस प्रकार से सामाजिक परिदृश्य में, राजनीतिक परिदृश्य में, यहाँ तक कि पारिवारिक परिदृश्य में भी जिस प्रकार से एक असहमति, कुण्ठा आदि का विकृत रूप देखने को मिलता है उससे यदि मुक्ति प्राप्त हो सकती है तो वहाँ केवल ये सम्यग्दर्शन, सम्यक्चरित्र और सम्यक्चिन्तन की भावनाएँ ही काम आएँगी… समस्त संसार यदि सम्यग्दर्शन, सम्यग्चरित्र तथा सम्यग्चिन्तन की भावना को अंगीकार कर ले तो बहुत सी समस्याओं से मुक्ति प्राप्त हो सकती है – क्योंकि इस स्थिति में समता का भाव विकसित होगा और फिर किसी भी प्रकार की ऊँच नीच अथवा किसी भी प्रकार के ईर्ष्या द्वेष क्रोध घृणा इत्यादि के लिए कोई स्थान ही नहीं रह जाएगा…

ये तो हुआ दार्शनिक पक्ष | व्यावहारिक और सामाजिक पक्ष की यदि बात करें तो अपरिग्रह, अहिंसा, संयम और सेवा आदि जितने भी व्यवहारों पर भगवान महावीर स्वामी ने बल दिया है वे सभी न केवल वर्तमान कोरोना काल में, अपितु सदा के लिए मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए उपयोगी हैं | जैसे…

अहिंसा – अर्थात किसी प्रकार की मनसा वाचा कर्मणा हिंसा का त्याग करें | परस्पर मैत्री भाव रखते हुए कोरोना के सम्बन्ध में जो दिशा निर्देश दिए गए हैं उनका पालन करेंगे तो इस आपदा के समय अपना स्वयं का बचाव करते हुए एक दूसरे के सहायक सिद्ध हो सकते हैं | लॉकडाउन में आवश्यक होने पर यदि किसी कार्य से घर से बाहर निकलना भी पड़ जाता है तो शान्ति बनाए रहे, यहाँ वहाँ हमारी सुरक्षा के लिए तत्पर पुलिस के समक्ष भी विनम्र रहें, उनसे झगड़ने की अपेक्षा उनके बताए दिशा निर्देशों का पालन करें ताकि स्थिति उग्र न हो और किसी प्रकार की अहिंसा की स्थिति उत्पन्न न होने पाए |

अपरिग्रह – अभी तो हमारे लिए कोरोना परिग्रह बना हुआ है – सारे संसार को इसने बन्धक बनाया हुआ है | तो क्यों न कुछ समय के लिए अपनी सभी इच्छाओं का त्याग करके केवल सीमित मूलभूत आवश्यकताओं की ही पूर्ति पर ध्यान दिया जाए – वो भी मिल बाँटकर ? आजकल इस प्रकार के समाचार भी प्राप्त हो रहे हैं कि कुछ व्यक्तियों ने दवाओं आदि को अपने घरों में स्टोर करना आरम्भ कर दिया है कि न जाने कब आवश्यकता पड़ जाए | अनावश्यक रूप से किसी वस्तु को अपने पास रखना ही परिग्रह कहलाता है | क्योंकि प्रस्तरकालीन मानव की ही भाँति आज कुछ व्यक्तियों की सोच यही बन चुकी है कि पहले स्वयं को बचाएँ, दूसरों के साथ चाहे जो हो | इस भावना से मुक्ति प्राप्त करने के लिए अपरिग्रह का आचरण अपनाने की आवश्यकता है |

सेवा – यदि हम सम्यग्दर्शन, सम्यग्चरित्र तथा सम्यग्चिन्तन के सिद्धान्त का पालन करेंगे तो सबको एक समान मानते हुए असहाय तथा अशक्त व्यक्तियों की सहायता के लिए भी आगे आ सकेंगे – और वह भी किसी पुरूस्कार अथवा नाम के लिए नहीं – न ही इसलिए कि सेवा करते हुए समाचार पत्रों में हमारे चित्र प्रकाशित हो जाएँगे | क्योंकि वास्तविक सेवा वह होती है कि जिसका किसी को पता भी न चल सके – जैसे कहा जाता है कि दान इस प्रकार होना चाहिए कि एक हाथ दान करे तो दूसरे हाथ को उसका भान भी न होने पाए | आज सेवाकार्य करते हुए चित्र खिंचवाना तथा उन्हें सोशल नेटवर्किंग पर पोस्ट करने की जैसे एक होड़ सी लगी हुई है | वास्तव में सेवाकार्य करना चाहते हैं तो इस भावना से ऊपर उठने की आवश्यकता है |

संयम – महावीर स्वामी का एक सिद्धान्त संयम का आचरण भी है | संकट की घड़ी है, जन साधारण के धैर्य की परीक्षा का समय है यह | कोरोना को हराना है तो धैर्य के साथ घरों में रहने की आवश्यकता है | अनावश्यक रूप से घरों से बाहर निकलेंगे तो अपने साथ साथ दूसरों के लिए भी समस्या बन सकते हैं | कोरोना के लक्षण दिखाई दें तो भी धैर्य के साथ – संयम के साथ विचार चिकित्सक से सम्पर्क साधें ताकि समय पर उचित चिकित्सा उपलब्ध हो सके |

और सबसे अन्त में लेकिन सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण मुखवस्त्रिका अर्थात मास्क | भगवान महावीर के अन्तिम सूत्र में मुखवस्त्रिका का वर्णन है | मुख में वायु के माध्यम से किसी भी प्रकार के जीव का प्रवेश होकर उसकी हिंसा न हो जाए इस भावना से मुखवस्त्रिका को आवश्यक बताया गया था – जो कि कोरोना की रोकथाम में सबसे बड़ी आवश्यकता बन गई है | साथ ही बार बार हाथ मुँह धोना और बाहर से आई प्रत्येक वस्तु को भी सेनिटायिज़ करके अर्थात साफ़ करके उपयोग में लाना – इसका भी यही उद्देश्य था कि किसी प्रकार के कीटाणु उस वस्तु में न रह जाएँ |

वे सभी सम्यग्दर्शन, सम्यग्चरित्र तथा सम्यग्चिन्तन के अन्तर्गत ही आते हैं | महावीर जयन्ती के इस अवसर पर यदि हम इनका पालन करने का संकल्प ले लें तो कोरोना जैसी महामारी से मुक्त होने में सहायता प्राप्त हो सकती है |

तो इस प्रकार की उदात्त भावनाओं का प्रसार करने वाले भगवान महावीर को नमन करते हुए प्रस्तुत हैं कुछ पंक्तियाँ…

हे महावीर शत नमन तुम्हें, शत वार तुम्हें है नमस्कार  

तुम्हारी कर्म श्रृंखला देव हमारी संस्कृति का श्रृंगार |

हे महावीर श्रद्धा से नत शत वार तुम्हें है नमस्कार

जो पथ दिखलाया तुमने वह है सकल मनुजता का आधार ||

तुमने दे दी हर प्राणी को जीवन जीने की अभिलाषा

ममता के स्वर में समझा दी मानव के मन की परिभाषा |

बन गीत और संगीत जगत को हर्ष दिया तुमने अपार

हे महावीर श्रद्धा से नत शत वार तुम्हें है नमस्कार ||

तुमको पाकर रानी त्रिशला के संग धरती माँ धन्य हुई

Mahaveer Jayanti
Mahaveer Jayanti

विन्ध्याचल पर्वत से कण कण में करुणाभा फिर व्याप्त हुई |

तुमसे साँसों को राह मिली, जग में अगाध भर दिया प्यार

हे महावीर श्रद्धा से नत शत वार तुम्हें है नमस्कार ||

तुम श्रम के साधक, कर्म विजेता, आत्मतत्व के ज्ञानी तुम

सम्यक दर्शन, सम्यक चरित्र और अनेकान्त के साधक तुम |

सुख दुःख में डग ना डिगें कभी, समता का तुमने दिया सार

हे महावीर श्रद्धा से नत शत वार तुम्हें है नमस्कार ||

हे महावीर शत नमन तुम्हें, शत वार तुम्हें है नमस्कार 

तुम्हारी कर्म श्रृंखला देव हमारी संस्कृति का श्रृंगार |

हे महावीर श्रद्धा से नत शत वार तुम्हें है नमस्कार

जो पथ दिखलाया तुमने वह है सकल मनुजता का आधार ||

अस्तु, भगवान महावीर स्वामी के सिद्धान्तों का पालन करते हुए सुरक्षा निर्देशों का पालन करते हुए सभी स्वस्थ रहें… सुरक्षित रहें… इसी कामना के साथ सभी को महावीर जयन्ती की हार्दिक शुभकामनाएँ…

______________कात्यायनी…