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bookmark_borderभारतीय नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ

भारतीय नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को उदित होने वाले सूर्य की प्रत्येक किरण हर दिन आपके तथा आपके परिवारजनों के जीवन में सुख, समृद्धि, स्वास्थ्य, उत्साह एवं सफलता की रजत धूप प्रसारित करे, और प्रत्येक निशा का चन्द्र प्रेम एवं शान्ति की धवल ज्योत्स्ना ज्योतित करे… WOW India की ओर से एक नवीन और सकारात्मक भारतीय नव सम्वत्सर, साम्वत्सरिक नवरात्र, गुड़ी पड़वा और उगडी की सभी को अनेकानेक हार्दिक शुभकामनाएँ… माँ भगवती अपने नौ रूपों में सभी की रक्षा करते हुए सभी का कल्याण करें… और सभी की मनोकामनाएँ पूर्ण करें…
—–कात्यायनी

 

आ गया है मेरे प्यारे देश का नववर्ष

पूरी वसुधा में है अनोखा
यह भारतवर्ष हमारा

Rekha Asthana
Rekha Asthana

नववर्ष का आरम्भ ही यहाँ
खुशहाली से होता।
चहुं ओर छाई होती है प्रकृति की
अद्भुत छवि निराली।
मंद -सुगन्धित बयार बहे और
जन-जन में नवजीवन भरती।
क्यों न करें हम अपने नववर्ष का स्वागत जब
माँ दुर्गा देने आशीष सभी को स्वयं
इस धरती पर आती।
सुमनों से दिशा -दिशा रंगीन है सबके मन को मोहे
धरती से आकाश तलक बस  प्यार ही प्यार उपजे
वृक्ष लद जाते मंजरियों से कोयल तान सुनाती
फसलों के सुनहरे पन को देख
कृषक बहुत हर्षाता।
तभी मनाते नववर्ष हम जब
हर ओर सुन्दरता छाए।
तरह-तरह के खग -विहग अपनी केली करते।
आओ इस नववर्ष पर कर लें कुछ प्रतिज्ञा
हर व्यक्ति रहे सदा ही खुश
मन में उसके प्रकृति प्रेम भर दें।
अपने आने वाली संतति को हम
एक प्रदूषण रहित पर्यावरण दें।
उर में सभी के बहुत है हर्ष
क्योंकि प्रारंभ हो रहा है अपना ‘नववर्ष’
—–रेखा अस्थाना, ग़ाज़ियाबाद

कष्ट रहित हो जीवन सबका

आया वसन्त नव वर्ष लिए,

कात्यायनी डा पूर्णिमा शर्मा
कात्यायनी डा पूर्णिमा शर्मा

मुद मंगल का नव गीत लिए |
सुख की पीली सरसों विहँसे,
खग कुल मस्ती में चहक उठे ||

नव पत्रित वृक्षों की डाली
फल पुष्पों से है लदी हुई |
और हरा घाघरा, पीत चुनरिया
से वसुधा है सजी हुई ||

नवल आस विश्वास नवल ले
कामदेव भी मुसकाता है |
सुख समृद्धि के मलयानिल से
हर घर आँगन महकाता है ||

चैत्र शुक्ल की नवल प्रतिपदा,
नवल भोर लेकर आई है |
नव सम्वत्सर, दिवस नवल है,
नवल रात्रि भी मुस्काई है ||

नवल वर्ष की स्वर्णिम किरणें
सबही का हैं मन हर्षाएँ |
नवल भोर का सूर्य नवोदित
सबको नूतन पथ दिखलाए ||

आज धरा पुलकित होती है,
और गगन भी मुस्काता है |
चिन्ताएँ हैं बड़ी, मगर कल
खुशियों का आने वाला है ||

निष्कंटक हों मार्ग सभी के,
और निरोगी सबके तन मन |
कर्म सिद्ध सबके ही हों, और
कष्टरहित हो सबका जीवन ||
—–कात्यायनी

चैत्र नववर्ष प्रतिपदा की अनेकानेक शुभकामनाएं और बधाई

Pramila Sharad Vyas
Pramila Sharad Vyas

पल पल पुलकित प्रतिपदा में,
चैत्र नववर्ष शुभ शुभ फल दे।
नित नवीन नव संकल्पों का ,
पुनित भाव भर नव बल दे।।
—–प्रमिला शरद व्यास, उदयपुर राजस्थान

हिंदू नव वर्ष और नवरात्रि
आओ करें स्वागत नव वर्ष का
जो लिए आया है नया सवेरा
मौसम में आ गई बसंत की बहार

Mrs. Madhu Rustagi
Mrs. Madhu Rustagi

घरती गगन मे गूंजता खुशी का मल्हार
आज नव वर्ष पर है गुड़ी पड़वा का त्योहार
रंगोली सजाओ पूरन पोली बनाओ
मेवा की गुंजिया खिलाओ मेरे यार।
चैत्र मास है और है मां दुर्गा का आगमन
वो करती ख्वाईशें पूरी, दिल से करो जो आचमन।
महकते रहो बसंत की तरह
चमकते रहो फागुन की तरह
बीते अतीत को भूल जाओ पतझड़ की तरह।
सजाओ द्वारे बंधनवार धर्म ध्वजा फहराओ
सभी को मिले सुख संपति ,स्वास्थ्य,संस्कार,
सपने हो सबके पूरे,समृद्ध खुशहाल हो घरपरिवार।
मिट जाए मन का अंधेरा,नववर्ष जैसा हो रोज़ सवेरा
हिंदू नव वर्ष की रोशनी करे सभी के घर में बसेरा।
दुपहरिया हो अभिलाषा भरी,
शाम लेके आए उम्मीदों की टोकरी
रात हो घर में सुकून से भरी।
यही शुभकामना है मधु की सभी के लिए
जलते रहे भारत में नववर्ष की दिव्य रोशनी के दीए।

—–मधु रुस्तगी, ग़ाज़ियाबाद

उठ रही सुगंध गुलाबों की

उठ रही सुगंध गुलाबों की

P.N. Mishra
P.N. Mishra

यह हृदय खो रहा मंद मंद
पंखुड़ी, स्नेह की लिपट रही
हुई आर्द्र, समेटे हुए मकरंद।

अश्वारोही बन कर के मां
आ रही आज संतान के घर
ऊषा की प्रथम लाली ने रंगा
नवरात्र पावनी, प्रथम प्रहर।

चंदन, अक्षत और धूप, दीप
पुष्पों के हार, सजा के रखो
शुक्ला के संग, अमावस है
आसन दैविक हों, बिछा के रखो।

तुम वंदनवार सजा के रखो
मैं यज्ञ में आहुति देता हूं
गूंजे उच्चारण मंत्रों का
निकले ध्वनि “मैं ही प्रणेता हूं”

पूजित हो राम की शक्ति आज
काशी की गंगा तरंगित हो
नवरात्र में मां के रूपों की
आभा,ममतामय लक्षित हो!
—–प्राणेन्द्रनाथ मिश्रा, कोलकाता

गुड़ी पड़वा
गुड़ी पडवा, गुड़ी पडवा, गुड़ी पडवा  आया है,
नया विक्रमी संवत नूतन, चैत शुक्ल ले आया है।

Dr. Himanshu Shekhar
Dr. Himanshu Shekhar

महाराष्ट्र में हर दरवाजे पर, गुड्डी का साया है,
डंडे पर हैं फूल लगे, ऊपर गुड्डी फहराया है।
नए नए कपड़े पहने हैं, खुद को बहुत सजाया है,
पर्व मनाने घर सफाई कर, दीप जलाने आया है।
बच्चे, बूढ़े और जवान, सारे ने मिल फरमाया है,
गुड़ी पडवा, गुड़ी पडवा, गुड़ी पडवा  आया है।

भारत का हर प्रांत मनाए, अलग नाम ले आया है,
चेटी चाँद, अट्टुवेला, और झूलेलाल भी पाया है।
सुनो उगादी, चैत्र मास की नवरात्रि भी लाया है,
पूरे भारत में शुभ लाने, का दिन पावन आया है।
सृष्टि की रचना का दिन है, यही बताने आया है,
गुड़ी पडवा, गुड़ी पडवा, गुड़ी पडवा  आया है।

पूरनपोली, मीठे चावल, और श्रीखंड बनाया है,
नए वस्त्र धारण करके, पकवान थाल भर लाया है।
मन प्रसन्न रखने को दिल में, ईश्वर यहाँ बसाया है,
ब्रह्मा, विष्णु की पूजा, करने का शुभ दिन आया है।
घर में रंगोली बनती है, घर को आज सजाया है,
गुड़ी पडवा, गुड़ी पडवा, गुड़ी पडवा  आया है।
—–डॉ हिमांशु शेखर, पुणे