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Blog: Padma Shri Chutni Mahato

Padma Shri Chutni Mahato

Padma Shri Chutni Mahato

Gunjan Khandelwal
Gunjan Khandelwal

पद्मश्री छुटनी देवी – झारखंड की शेरनी

इतिहास के पन्नों में न खो जाएँ – गुँजन खण्डेलवाल

गुँजन खण्डेलवाल जी की आज की प्रस्तुति – छुटनी देवी के झारखण्ड की शेरनी बनने से लेकर पद्मश्री बनने तक की कहानी…

इक्कीसवीं सदी में जब तकनीक की दुनिया में हम कहां से कहां पहुंच गए हैं पर मानसिकता में बदलाव आज भी धीमी गति के समाचार की तरह ही है | अंधविश्वास, रूढ़िवादिता और अशिक्षा से झारखंड जैसे बहुत से राज्य अपने यहां इनसे रिलेटेड दुर्घटनाओं को रोक पाने में असहाय से हैं | पिछले दो दशक में तकरीबन पंद्रह सौ से अधिक महिलाएं ‘डायन प्रथा’ का शिकार हो काल कवलित हो चुकीं हैं | झारखंड के सराय केला – खरसोवा जिले के बीरबांस गाँव की रहने वाली छुटनी देवी की कहानी इसी अंधविश्वास से जन्मी है |

सितम्बर 1995 की घटना है, अपने ससुराल में ये सुखपूर्वक रह रही थी कि पड़ोस में रहने वाली एक लड़की बहुत बीमार हुई | ईर्ष्यावश या अज्ञान या अंधविश्वास कहें कि इन पर ‘डायन’ होने का आरोप लगाकर दंड स्वरूप 500 रुपए का जुर्माना वसूला गया | उसके बाद भी अगले दिन 40-50 लोगों ने इन्हें घर से घसीटा, मारा पीटा और मैला भी फेंका | इस सब की टीस आज भी उनके चेहरे पर लगी चोट के दाग में उभर आती है |

पति ने भी साथ छोड़ दिया तो अपने 3 बच्चो के साथ रातोरात ये उफनती खरकई नदी पार करके मायके आ गई | कुछ दिन बाद छुटनी देवी की माँ की मृत्यु हो गई और मजबूरन ये पेड़ के नीचे झोपड़ा बनाकर रहने लगी | मेहनत मजदूरी कर किसी तरह बच्चों का पालन पोषण करती रहीं |

1996-97 में भाग्य से इनकी मुलाकात ‘फ्लैक’ – फ्री लीगल एडवाइजरी कमेटी के सदस्यों से हुई जिससे इनकी कहानी मीडिया द्वारा चर्चित हुई | इन पर नैशनल

Chutni Mahato - Padma Shree Award
Chutni Mahato – Padma Shree Award

ज्योग्राफिक सोसायटी ने एक डॉक्यूमेंट्री भी बनाई | अब छुटनी देवी ने अपने जैसी ‘डायन’ करार कर दी जाने वाली महिलाओं की मदद की मुहिम छेड़ दी है |

छुटनी देवी आज ‘आशा’ के पुनर्वास केंद्र की निदेशक के रूप में काम कर रहीं हैं | अपने जैसी 65 से अधिक महिलाओं को ये ‘बलि’ होने से पूर्व पुनर्जीवन दे चुकी हैं | कहीं से भी ऐसी प्रताड़ना आदि की सूचना मिलते ही इनकी टीम आरोपियों के खिलाफ लीगल एक्शन लेने पहुंच जाती है | आज वे झारखंड की शेरनी कहलाती हैं |

अशिक्षित होने पर भी ये हिंदी, बंगला व उड़िया भाषा में माहिर हैं | अपने बच्चों को इन्होंने सुशिक्षित किया है | प्रताड़ित व निर्धन परिवार के कम से कम 10 से 15 लोगों को वो प्रतिदिन अपने खर्च से भोजन कराती हैं, इसमें कोई भी शासकीय मदद नहीं मिलती है |

छुटनी देवी उदहारण है उस साहसी महिला का जो जुल्म का शिकार बनी पर प्रतिकार स्वरूप अपने जैसी पीड़िताओं का सम्बल बन समाज की रूढ़िवादी व अंधविश्वासी सोच से लड़ रही हैं | नारी का ये ‘काली रूप’ भी वंदनीय है जहां वो कुप्रथा के राक्षस का उन्मूलन कर रही है | जय हिंद!