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Blog: Happy Women’s Day

Happy Women’s Day

Happy Women’s Day

अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की सभी को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ

सारी की सारी प्रकृति ही नारीरूपा है – अपने भीतर अनेकों रहस्य समेटे – शक्ति के अनेकों स्रोत समेटे – जिनसे मानवमात्र प्रेरणा प्राप्त करता है… और जब सारी प्रकृति ही

Dr. Purnima Sharma
Dr. Purnima Sharma

शक्तिरूपा है तो भला नारी किस प्रकार दुर्बल या अबला हो सकती है ?

आज की नारी शारीरिक, मानसिक, अध्यात्मिक और आर्थिक हर स्तर पर पूर्ण रूप से सशक्त और स्वावलम्बी है और इस सबके लिए उसे न तो पुरुष पर निर्भर रहने की आवश्यकता है न ही वह किसी रूप में पुरुष से कमतर है |

पुरुष – पिता के रूप में नारी का अभिभावक भी है और गुरु भी, भाई के रूप में उसका मित्र भी है और पति के रूप में उसका सहयोगी भी – लेकिन किसी भी रूप में नारी को अपने अधीन मानना पुरुष के अहंकार का द्योतक है | हम अपने बच्चों को बचपन से ही नारी का सम्मान करना सिखाएँ चाहे सम्बन्ध कोई भी हो… पुरुष को शक्ति की सामर्थ्य और स्वतन्त्रता का सम्मान करना चाहिए…

देखा जाए तो नारी सेवा और त्याग का जीता जागता उदाहरण है, इसलिए उसे अपने सम्मान और अधिकारों की किसी से भीख माँगने की आवश्यकता नहीं…

अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की सभी को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ – इस आशा और विश्वास के साथ कि हम अपने महत्त्व और प्रतिभाओं को समझकर परिवार, समाज और देश के हित में उनका सदुपयोग करेंगी…

इसी कामना के साथ सभी को आज का शुभ प्रभात…

मुझमें है आदि, अन्त भी मैं, मैं ही जग के कण कण में हूँ |

है बीज सृष्टि का मुझमें ही, हर एक रूप में मैं ही हूँ ||

मैं अन्तरिक्ष सी हूँ विशाल, तो धरती सी स्थिर भी हूँ |

सागर सी गहरी हूँ, तो वसुधा का आँचल भी मैं ही हूँ ||

मुझमें है दीपक का प्रकाश, सूरज की दाहकता भी है |

चन्दा की शीतलता मुझमें, रातों की नीरवता भी है ||

मैं ही अँधियारा जग ज्योतित करने हित खुद को दहकाती |

और मैं ही मलय समीर बनी सारे जग को महका जाती ||

Happy Women's Day
Happy Women’s Day

मुझमें नदिया सा है प्रवाह, मैंने न कभी रुकना जाना |

तुम जितना भी प्रयास कर लो, मैंने न कभी झुकना जाना ||

मैं सदा नई चुनती राहें, और एकाकी बढ़ती जाती |

और अपने बल से राहों के सारे अवरोध गिरा जाती ||

मुझमें है बल विश्वासों का, स्नेहों का और उल्लासों का |

मैं धरा गगन को साथ लिये आशा के पुष्प खिला जाती ||

डॉ पूर्णिमा शर्मा