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Recipe of Gujhiya
गुझिया बनाने की विधि
आज आमलकी एकादशी है – जिसे हम सभी रंग की एकादशी के नाम से जानते हैं – सर्व प्रथम सभी को रंग की एकादशी की हार्दिक शुभकामनाएँ…
यों तो होली का त्यौहार फाल्गुन शुक्ल पञ्चमी यानी रंग पञ्चमी से ही आरम्भ हो जाता है, लेकिन रंग की एकादशी से तो जैसे होली की मस्ती अपने पूर्ण यौवन पर आ जाती है | लेकिन इस वर्ष इस मस्ती में कोरोना वायरस ने सेंध लगाई हुई है जिसके कारण हर कोई भयभीत है | लेकिन कोरोना वायरस से घबराने और डरने के स्थान पर इसके बारे में सही जानकारी प्राप्त करें, अपनी जीवन शैली में सुधार करें और सावधानी बरतें तो इसके दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है |
इसके लिए सबसे पहली आवश्यकता है अपने आसपास और घर में सफाई रखने की, कुछ देर के लिए धूप में बैठने की तथा कपड़ों को धूप में सुखाने की सलाह एक्सपर्ट्स दे रहे हैं | कुछ और सुझाव भी समाचारों के माध्यम से प्राप्त हो रहे हैं, जैसे: हाथों को कई बार साफ़ करें और हैण्ड सेनीटाईज़र का प्रयोग अधिक से अधिक करें, हर पन्द्रह मिनट में थोड़ा सा गुनगुना पानी अवश्य पी लें, आइसक्रीम, कोल्डड्रिंक, ठण्डी छाछ या लस्सी इत्यादि का सेवन न करें, घर का पका सन्तुलित आहार लें और जैसा सभी आयुर्वेद को जानने वाले बता रहे हैं – तुलसी-लौंग-हल्दी-अदरख का काढ़ा या गिलोय का काढ़ा का सेवन करें | साथ में विटामिन सी से युक्त फलों जैसे संतरा, मौसमी, आँवला, नीम्बू इत्यादि के सेवन करते रहें | साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए अनुलोम विलोम तथा कपाल भाति प्राणायाम करें और निश्चिन्त होकर होली की मस्ती में झूम उठें |
तो, त्यौहार मनाएँ – लेकिन सावधानीपूर्वक – एक्सपर्ट्स के सुझावों को मानकर | क्योंकि इस कोरोना वायरस से डरकर होली की गुझिया यदि नहीं खाईं तो होली की जिस मस्ती का साल भर से इंतज़ार कर रहे थे उस मस्ती में मिठास कहाँ से घुलेगी ? तो आइये, अर्चना गर्ग से सीखते हैं गुझिया बनाने की विधि – रेखा अस्थाना की रंगों से भरी कविता के साथ – जिसमें एक विरहिणी नायिका का चित्रण बड़ी ख़ूबसूरती से किया गया है…
डॉ पूर्णिमा शर्मा
तो सबसे पहले गुझिया की मिठास
सामग्री…
मैदा 250 ग्राम
घी 500 ग्राम तलने हेतु
चीनी 150 ग्राम पीसी हुई
मावा 150 ग्राम
मेवा चिरौंजी, किशमिश, छोटी इलायची पीसी हुई
विधि…
मैदा में दो कलछुल घी डालकर मिला लें । जब हाथ में दबाने से लड्डू बंधने लगे तो गुनगुने पानी से मैदा को गूंध लें।
मावे को कढ़ाई में भूने गुलाबी होने तक । उसमें पीसी चीनी व मेवे मिलाएँ, इलायची पाउडर चुटकी भर मिलाएँ।
मैदा की छोटी छोटी लोई लेकर पूड़ी का आकार दें । उसमें मावे का मिक्शचर भरें । गुझिया की आकृति दें । उसको अच्छी तरह पानी से बंद करें । किनारा गोठें या गुजिया कटर से किनारा बंद करें । सबको सूती कपड़े से ढककर रखें ।
घी को कढ़ाई में गरम करें फिर आँच धीमी करें । पाँच या छः गुझिया को एक साथ तलें । हल्का गुलाबी होने तक तलें । प्लेट में निकालें । ठण्डा होने पर ही डिब्बे में बंद करें ।
गुझिया को आप चाहे तो पाग भी सकती हैं । इसके लिए गुझिया को बनाने के बाद आधी तार की चाशनी में केसर पिश्ता डाल कर उसमें गुजिया पाग ले ।
ध्यान रहे यदि आप गुजिये को पाग रही हैं तो अन्दर फिलिंग में चीनी कम डालें ।
अर्चना गर्ग
पिया बिन फाग अधूरा रे….
क्यों गये पिया परदेस रे, सखी क्यों गये पिया परदेस रे ||
ठंडक ने ली करवट तो पुलकित हो उठी धरा,
कुसुमित हो उठे विटप सब टेसू ने सुन्दरता फैलाई रे ।
सखी क्यों गये पिया परदेस रे ||
सरसों फूली देखकर मन में उठे हूक रे ।
सखी क्यों गये पिया परदेस रे ||
सुन कोयल की कूक को मन मेरा क्यों घबराए रे ।
सखी क्यों गये पिया परदेस रे ||
बिना पिया मुस्कान के होली का सब रंग फीका रे ।
सखी क्यों गये पिया परदेस रे ||
पूआ गुजिया की मिठास भी मुझको लागे कड़वी रे ।
सखी क्यों गये पिया परदेस रे ||
पिया मिलन की आस से हुए गुलाबी सब सपने रे |
सखी क्यों गये पिया परदेस रे ||
सखी पिया बिन फाग अधूरा रे ||
रेखा अस्थाना
गणतन्त्र दिवस की हार्दिक बधाई और शुभकामनाओं के साथ प्रस्तुत है इस सप्ताह का सम्भावित राशिफल…
नीचे दिया राशिफल चन्द्रमा की राशि पर आधारित है और आवश्यक नहीं कि हर किसी के लिए सही ही हो – क्योंकि लगभग सवा दो दिन चन्द्रमा एक राशि में रहता है और उस सवा दो दिनों की अवधि में न जाने कितने लोगों का जन्म होता है | साथ ही ये फलकथन केवल ग्रहों के तात्कालिक गोचर पर आधारित होते हैं | इसलिए Personalized Prediction के लिए हर व्यक्ति की जन्म कुण्डली का व्यक्तिगत रूप से अध्ययन करना आवश्यक है | इस फलकथन अथवा ज्योतिष विद्या का उद्देश्य किसी भी प्रकार के अन्धविश्वास को बढ़ावा देना नहीं है | अतः, स्वयं पर विश्वास रखते हुए कर्मशील रहिये…
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Gemini Weekly Horoscope for 2 to 8 March 2020:
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Cancer Weekly Horoscope for 2 to 8 March 2020:
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Leo Weekly Horoscope for 2 to 8 March 2020:
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Virgo Weekly Horoscope for 2 to 8 March 2020:
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Beginning of Holi Festival – Holashtak
होली के पर्होव का आरम्भ – होलाष्टक
सोमवार दो मार्च को दिन में 12:53 के लगभग विष्टि करण और विषकुम्भ योग में फाल्गुन शुक्ल अष्टमी तिथि का आरम्भ हो रहा है | इसी समय से होलाष्टक आरम्भ हो जाएँगे जो सोमवार नौ मार्च को होलिका दहन के साथ ही समाप्त हो जाएँगे | नौ मार्च को सूर्योदय से पूर्व तीन बजकर चार मिनट के लगभग पूर्णिमा तिथि का आगमन होगा जो रात्रि
ग्यारह बजकर सत्रह मिनट तक रहेगी | इसी मध्य गोधूलि वेला में सायं छह बजकर छब्बीस मिनट से रात्रि आठ बजकर बावन मिनट तक होलिका दहन का मुहूर्त है, और उसके बाद रंगों की बरसात के साथ ही फाल्गुन कृष्ण प्रतिपदा से होलाष्टक समाप्त हो जाएँगे |
फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से आरम्भ होकर पूर्णिमा तक की आठ दिनों की अवधि होलाष्टक के नाम से जानी जाती है और चैत्र कृष्ण प्रतिपदा को होलाष्टक समाप्त हो जाते हैं | होलाष्टक आरम्भ होने के साथ ही होली के पर्व का भी आरम्भ हो जाता है | इसे “होलाष्टक दोष” की संज्ञा भी दी जाती है और कुछ स्थानों पर इस अवधि में बहुत से शुभ कार्यों की मनाही होती है | विद्वान् पण्डितों की मान्यता है कि इस अवधि में विवाह संस्कार, भवन निर्माण आदि नहीं करना चाहिए न ही कोई नया कार्य इस अवधि में आरम्भ करना चाहिए | ऐसा करने से अनेक प्रकार के कष्ट, क्लेश, विवाह सम्बन्ध विच्छेद, रोग आदि अनेक प्रकार की अशुभ बातों की सम्भावना बढ़ जाती है | किन्तु जन्म और मृत्यु के बाद किये जाने वाले संस्कारों के करने पर प्रतिबन्ध नहीं होता |
फाल्गुन कृष्ण अष्टमी को होलिका दहन के स्थान को गंगाजल से पवित्र करके होलिका दहन के लिए दो दण्ड स्थापित किये जाते हैं, जिन्हें होलिका और प्रह्लाद का प्रतीक माना जाता है | फिर उनके मध्य में उपले (गोबर के कंडे), घास फूस और लकड़ी आदि का ढेर लगा दिया जाता है | इसके बाद होलिका दहन तक हर दिन इस ढेर में वृक्षों से गिरी हुई लकड़ियाँ और घास फूस आदि डालते रहते हैं और अन्त में होलिका दहन के दिन इसमें अग्नि प्रज्वलित की जाती है | ऐसा करने का कारण सम्भवतः यह रहा होगा कि होलिका दहन के अवसर तक वृक्षों से गिरी हुई लकड़ियों और घास फूस का इतना बड़ा ढेर इकट्ठा हो जाए कि होलिका दहन के लिए वृक्षों की कटाई न करनी पड़े |
मान्यता ऐसी भी है कि तारकासुर नामक असुर ने जब देवताओं पर अत्याचार बढ़ा दिए तब उसके वध का एक ही उपाय ब्रह्मा जी ने बताया, और वो ये था कि भगवान शिव और पार्वती की सन्तान ही उसका वध करने में समर्थ हो सकती है | तब नारद जी के कहने पर पार्वती ने शिव को प्राप्त करने के लिए घोर तप का आरम्भ कर दिया | किन्तु शिव तो दक्ष के यज्ञ में सती के आत्मदाह के पश्चात ध्यान में लीन हो गए थे | पार्वती से उनकी भेंट कराने के लिए उनका उस ध्यान की अवस्था से बाहर आना आवश्यक था | समस्या यह थी कि जो कोई भी उनकी साधना भंग करने का प्रयास करता वही उनके कोप का भागी बनता | तब कामदेव ने अपना बाण छोड़कर भोले शंकर का ध्यान भंग करने का दुस्साहस किया | कामदेव के इस अपराध का परिणाम वही हुआ जिसकी कल्पना सभी देवों ने की थी – भगवान शंकर ने अपने क्रोध की ज्वाला में कामदेव को भस्म कर दिया | अन्त में कामदेव की पत्नी रति के तप से प्रसन्न होकर शिव ने कामदेव को पुनर्जीवन देने का आश्वासन दिया | माना जाता है कि फाल्गुन शुक्ल अष्टमी को ही भगवान शिव ने कामदेव को भस्म किया था और बाद में रति ने आठ दिनों तक उनकी प्रार्थना की थी | इसी के प्रतीक स्वरूप होलाष्टक के दिनों में कोई शुभ कार्य करने की मनाही होती है |
वैसे व्यावहारिक रूप से पंजाब और उत्तर प्रदेश के कुछ भागों में होलाष्टक का विचार अधिक किया जाता है, अन्य अंचलों में होलाष्टक का कोई दोष प्रायः नहीं माना जाता |
अतः, मान्यताएँ चाहें जो भी हों, इतना निश्चित है कि होलाष्टक आरम्भ होते ही मौसम में भी परिवर्तन आना आरम्भ हो जाता है | सर्दियाँ जाने लगती हैं और मौसम में हल्की सी गर्माहट आ जाती है जो बड़ी सुखकर प्रतीत होती है | प्रकृति के कण कण में वसन्त की छटा तो व्याप्त होती ही है | कोई विरक्त ही होगा जो ऐसे सुहाने मदमस्त कर देने वाले मौसम में चारों ओर से पड़ रही रंगों की बौछारों को भूलकर ब्याह शादी, भवन निर्माण या ऐसी ही अन्य सांसारिक बातों के विषय में विचार करेगा | जनसाधारण का रसिक मन तो ऐसे में सारे काम काज भुलाकर वसन्त और फाग की मस्ती में झूम ही उठेगा…
इन सभी मान्यताओं का कोई वैदिक, ज्योतिषीय अथवा आध्यात्मिक महत्त्व नहीं है, केवल धार्मिक आस्थाएँ और लौकिक मान्यताएँ ही इस सबका आधार हैं | तो क्यों न होलाष्टक की इन आठ दिनों की अवधि में स्वयं को सभी प्रकार के सामाजिक रीति रिवाज़ों के बन्धन से मुक्त करके इस अवधि को वसन्त और फाग के हर्ष और उल्लास के साथ व्यतीत किया जाए…
रंगों के पर्व की अभी से रंग और उल्लास से भरी हार्दिक शुभकामनाएँ…
https://www.astrologerdrpurnimasharma.com/2020/02/28/holashtak-beginning-of-holi-festival/
सपने अवश्य देखें
हम सभी सपने देखने के आदी हैं | अक्सर हम सभी बातें करते हैं – हम ऐसा कर सकते हैं, हम वहाँ पहुँच सकते हैं, अमुक कार्य केवल हम ही पूर्ण कर सकते हैं, हम इस कार्य में तो सफल होंगे ही होंगे, हम इतना कुछ बदल सकते हैं… इत्यादि इत्यादि…
लेकिन केवल बातें करने भर से काम नहीं चला करता | सपने देखना अच्छी बात है जीवन में आगे बढ़ने के लिए | जो व्यक्ति सपना ही नहीं देखेगा वह कोई भी दिशा अपने लिए कैसे निर्धारित कर सकता है ? लेकिन इसके लिए कुछ बातों का ध्यान रखना भी अत्यन्त आवश्यक है…
सबसे पहले तो इच्छाशक्ति में दृढ़ता अत्यन्त आवश्यक है | हमने सोच तो लिया कि हम अमुक कार्य करना चाहते हैं, मन ही मन उसके पूर्ण होने की कल्पना से आनन्दित भी हो जाते हैं | लेकिन इतने भर से कार्य सम्पन्न नहीं हो जाता | हमें अपने मन में संकल्प लेना होगा कि चाहे जो हो जाए – अमुक कार्य को तो हमें पूरा करना ही है | जब इच्छाशक्ति में इस प्रकार की दृढ़ता होगी तभी हम उस कार्य को सम्पन्न करने में जी जान से जुटने का भी साहस दिखा सकते हैं, अन्यथा तो लाभ-हानि सफलता-असफलता का सोचकर या तो कार्य आरम्भ ही नहीं करेंगे, और यदि कर भी लिया तो उसे पूर्ण नहीं कर पाएँगे और निराश होकर बीच में ही छोड़ बैठेंगे |
कार्य को करने का साहस भी हमारे संकल्प से ही आता है | और दृढ़ इच्छाशक्ति तथा साहस मिलकर हमारे आत्मविश्वास में वृद्धि करते हैं | यदि इच्छाशक्ति यानी संकल्प शक्ति में दृढ़ता नहीं है, साहस और आत्मविश्वास में कमी है तो सारे सपने शेखचिल्ली के सपने बनकर रह जाते हैं |
जब हमारी इच्छाशक्ति दृढ़ हो जाए, साहस और आत्मविश्वास में वृद्धि हो जाए तब अपने लक्ष्य के प्रति एकाग्रचित्त होकर प्रयास आरम्भ कर देना चाहिए | जिसकी सबसे पहली सीढ़ी है उस कार्य के लिए कुशलता प्राप्त करना | हमें उस कार्य का ज्ञान हो सकता है क्योंकि हमने उसकी शिक्षा ली है, किन्तु जब तक पूर्ण कुशलता नहीं होगी तब तक कार्य में सफलता प्राप्त होने में सन्देह ही रहेगा | कुशलता के साथ ही उचित दिशा में प्रयास किया जा सकता है, अन्यथा अँधेरे में तीर मारने से कुछ हासिल नहीं होता |
इस सबके साथ ही कठोर परिश्रम भी आवश्यक है, क्योंकि परिश्रम किये बिना यदि कुछ प्राप्त हो जाता है तो उसके महत्त्व की उपेक्षा करना मानव का स्वभाव होता है | परिश्रम करके जब लक्ष्य सिद्ध हो जाता है तो एक तो अपार आनन्द की अनुभूति होती है, स्वयं पर गर्व का अनुभव होता है, और इतने अथक परिश्रम के बाद जो प्राप्त किया है उसे बनाए रखने तथा और कुछ अन्य नया करने का संकल्प दृढ़ होता जाता है…
तो, सपने अवश्य देखिये, सपने देखना मत छोड़िये… क्योंकि सपने ही सच होते हैं… लेकिन इतना ध्यान रखिये कि वे दिवास्वप्न या शेख़चिल्ली के सपने बनकर न रह जाएँ…
डॉ पूर्णिमा शर्मा
“Just Kidding” a play written by Peter Paul, directed by Manoj Sharma & Presented by SPACE Theater Group in the annual program of WOW India / DGF in 2011…